संजीत अपहरण कांड :कानपुर पुलिस की भयंकर लापरवाही नतीजा
कानपुर संजीत यादव अपहरण कांड का आज कानपुर पुलिस द्वारा खुलासा किया गया। आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था संजीत की हत्या कर दी गयी इस हत्याकांड मैं उसके दोस्त शामिल थे ये बात पता लगाने में बर्रा पुलिस को 31 दिन लग गए वो भी जब मामला मीडिया पर आ गया और राजनैतिक पार्टिया इसमें शामिल हो गयी।
सवाल ये उठता है की पुलिस की असवेदनशीलता और लापरवाही की जिम्मेवारी किसकी है ,पुलिस विभाग जो की अतिसवेदनशील विभागों में आता है इसकी कार्यशैली पर उठते प्रश्न पूरे सिस्टम के लिए शर्मनाक है। क्या कारण है कि किसी फरियादी की शिकायत को पहली बार में तो थाना सज्ञान में ही नहीं लेता अधिकारी के कहने पर FIR लिखी जाती है फिर कार्यवाही नहीं होती लोगो को धरने पर बैठना पड़ता है आत्मदाह जैसा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ता है।
आज इसी का नतीजा है संजीत अपहरण कांड छिन गया घर का चिराग ,साहब फिर बहाल हो जायेंगे ,कुछ दिन में घर सांत्वना देने वाले भी आना बंद कर देंगे ,रह जाएगी परिवार को रोने के लिए संजीत की यादे।
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जानिए कब क्या हुआ था-
- 22 जून की रात हॉस्पिटल से घर आने के दौरान संजीत का अपहरण हुआ.
- 23 जून को परिजनों ने जनता नगर चौकी में उसकी गुमशुदगी की तहरीर दी.
- 26 जून को एसएसपी के आदेश पर राहुल यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई.
- 29 जून को अपहरणकर्ता ने संजीत के परिजनों को 30 लाख की फिरौती के लिए फोन किया.
- 5 जुलाई को परिजनों ने शास्त्री चौक पर जाम लगाकर पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया
- 12 जुलाई को एसपी साउथ कार्यालय में इस बाबत दोबारा प्रार्थना पत्र दिया गया
- 13 जुलाई को परिजनों ने फिरौती की रकम 30 लाख से भरा बैग गुजैनी पुल से नीचे फेंक दिया, लेकिन फिर भी संजीत नहीं आया.
- 14 जुलाई को परिजनों ने एसएसपी और आईजी रेंज से शिकायत की, जिसके बाद संजीत को 4 दिन में बरामद करने का भरोसा दिया गया
- 16 जुलाई को बर्रा इंस्पेक्टर रंजीत राय को सस्पेंड कर सर्विलांस सेल प्रभारी हरमीत सिंह को चार्ज दे दिया गया
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