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मधुमिता हत्याकांड और अमरमणि त्रिपाठी : जेल जाने से रिहाई तक की पूरी कहानी जाने

क्या है मधुमिता शुक्ल हत्याकांड 

9 मई 2003 को लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सुचना मिलती है की पेपर मिल कॉलोनी के माकन नंबर  c -33 /6 में एक महिला की हत्या हो गयी है। सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उसे वक्त जरूरी मीटिंग में व्यस्त थे। तभी लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनिल अग्रवाल जिले के एसपी क्राइम राजेश पांडे को इशारे से बुलाते हैं और दोनों ही अधिकारियों को महिला की हत्या वाले स्थान पर जाने को बोलते हैं। 


प्रथम द्रष्टिया पुलिस को हत्या की वजह लूट लगी मकान के पहले ही कमरे में युवा महिला की लाश देखते ही पुलिस को लगा कि इसे बहुत करीब से गोली मारी गई है हत्या बहुत छोटे से मकान जिसमें दो कमरे थे हुई थी कुछ ही देर में लखनऊ में यह खबर भूचाल मचाने लगी

जिस वक्त पुलिस पहुंची उस वक्त मकान में दो लोग मौजूद थे एक थी जुड़वा बहन निधि शुक्ला और दूसरा देशराज जो घर में काम करता था। हत्या से पहले मधुमिता से मिलने दो लोग आए थे दोनों लोग घर के अंदर थे और देशराज चाय बनाने गया था। पूर्व आईपीएस राजेश पांडे कहते हैं  देशराज जब  चाय बना रहा था तभी उसे गोली चलने की आवाज सुनाई दे वह बाहर आता है उधर दोनों लोग जो घर आए थे मोटरसाइकिल से भाग रहे थे कमरे से पुलिस ने मधुमिता का फोन और एक डायरी जप्त की। 

पुलिस को बहन निधि शुक्ला ने बताया की मधुमिता एक कवियत्री थी इसके करीब 1 घंटे बाद लखनऊ के एसएसपी अनिल अग्रवाल खुद मौके पर पहुंचे निधि शुक्ला उनसे अकेले में कुछ बात करना चाहती थी निधि के बार-बार कहने पर पत्रकारों और सिपाहियों को एसएसपी ने उसे जगह से दूर जाने को कहा। 

निधि ने अधिकारियों को बताया उसकी बहन मधुमिता गर्भवती थी और गर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का बच्चा है यह खबर मीडिया तक पहुंच गई और अगले दिन अखबारों में भी आ गई। 

जाने कौन है अमरमणि त्रिपाठी

अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार में कद्दावर मंत्री थे वह 1997 से 2000 के बीच उत्तर प्रदेश में भाजपा शासन के दौरान कल्याण सिंह राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में भी मंत्री रह चुके थे। 

अमरमणि त्रिपाठी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले थे कहा जाता है पहले वह वह हरिशंकर तिवारी के साथ थे और उनका नाम एक अपराधी के तौर पर दर्ज था उनकी पहचान प्रदेश के ब्राह्मण नेता के तौर पर बन चुकी थी। वह साल 1989 ,1996  और 2002 में महाराजगंज की लक्ष्मीपुर सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं मधुमिता हत्या के अभियोग के बाद भी 2007 में वह नौतनवा सीट से विधानसभा का चुनाव जीतने में सफल रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती अमरमणि त्रिपाठी को बहुत मानती थी। 

उनका रसूख  इतना था कि  पोस्टमार्टम के बाद अमरमणि ने शव को मधुमिता शुक्ला के लखीमपुर खीरी स्थित घर के लिए रवाना कर दिया और भ्रूण का नमूना तक नहीं लेने दिया जब यह खबर तत्कालीन एसएसपी अनिल अग्रवाल को दी गई तो शो को दोबारा लखनऊ लाया गया और भ्रूण का सैंपल लिया गया। 

अमरमणि ने लखनऊ के एसपी क्राइम राजेश पांडे का तबादला जालौन करा दिया और जांच को सीआईडी को सौंप दिया गया अमरमणि के रसूख के चलते सीआईडी के दो अधिकारियों को इसी मामले में निलंबित भी कर दिया गया ऐसे फैसले अखबारों और न्यूज़ चैनलों के लिए बड़ी खबर बने। 

जब मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला की मांग पर और अटल बिहारी वाजपेई उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री के कहने पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। 17 मई साल 2003 को सीबीआई ने इसकी जांच भी शुरू कर दी यह जांच राजा बालाजी को सोप गई। 

अमरमणि त्रिपाठी को मायावती ने अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया निधि शुक्ला का कहना है मधु को इंसाफ दिलाने के लिए 20 वर्षों से वह यह लड़ाई लड़ रही है वह प्रधानमंत्री रह चुके अटल जी से उनके दिल्ली आवास पर भी मिली और अमरमणि त्रिपाठी को दंड मिले और उनकी बहन को न्याय। 

कैसे नजदीक आए अमरमणि और मधुमिता

मूल रूप से लखनऊ के पास लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमति शुक्ला एक कवित्री थी जो की स्कूल के समय से ही मंच पर कविताएं किया करती थी इसी दौरान साल 2000 के आसपास एक कवि सम्मेलन जो कि दिल्ली में था मधुमिता की मुलाकात अमरमणि त्रिपाठी की मां सावित्री मणि त्रिपाठी और उनकी दोनों बेटियों से हुई निधि शुक्ला बताती है की सभी लखनऊ के पास के थे और धीरे-धीरे घरेलू संबंध हो गए। 

मधुमिता भी अमरमणि  त्रिपाठी के घर गई जहां पहली बार अमरमणि से मुलाकात हुई अमरमणि ने मधुमिता से अपने भाषणों के लिए कुछ पंक्तियां लिखने के लिए कहा और दोनों के बीच संपर्क बढ़ने लगा मुलाकात भी लगातार होने लगी और वह एक दूसरे से करीब आ गए। 

एसपी क्राइम के मुताबिक सीबीआई ने अपनी जांच में पाया की एक बार मधुमणि  त्रिपाठी किसी से जानकारी मिलने के बाद मधुमिता के घर पहुंच गई थी और दोनों के बीच काफी झगड़ा भी हुआ था सब जाहिर है की दोनों के दोनों के बीच में नजदीकियों की जानकारी परिवार में भी पहुंच चुकी थी और यह झगड़ों की वजह भी बन रहा था। 

हत्या की वजह व साजिश

निधि शुक्ला का कहना  है की मधुमिता शुक्ला और मधुमणि त्रिपाठी के बीच कई बार फोन पर भी झगड़ा हुआ और यहां तक की अमरमणि त्रिपाठी की वजह से मधुमिता दो बार गर्भवती हो चुकी थी और दोनों बार उसे अबॉर्शन करना पड़ा। 


पुलिस के मुताबिक तीसरी बार गर्भवती होने पर मधुमणि त्रिपाठी अपने करीबियों के साथ मिलकर मधुमिता की हत्या की साजिश करने लगी क्यों की अब मधुमिता गर्भ गिराने को राजी नहीं थी।  इस साजिश में अमरमणि त्रिपाठी भी शामिल हो गए। 

जब जब मधुमिता की हत्या हुई उसे दिन उसकी उम्र 19 साल एक महीना और 6 दिन थी साजिशन यह भी साबित करने की कोशिश हुई की आईआईटी कानपुर के एक छात्र से 2002 में मधुमिता की शादी हो चुकी थी। 

कॉलेज हॉस्टल के एक छात्रा को गवाह भी बनाया गया इसे साबित करने के लिए मधुमिता की फोन डिटेल सीबीआई को सौपी गई जो कि उस दौरान की थी जब IIT कानपुर में एक कवि सम्मेलन था और तभी मधुमिता ने वहा कॉल की थी। 

यही नहीं शादी करने वाला एक पंडित और नई को भी गवाह के रूप में पेश करने की कोशिश की गई अमरमणि त्रिपाठी सब कुछ मैनेज करने के लिए जाने जाते थे। किंतु बाद में आईआईटी कानपुर ने अपनी जांच में छात्र को बेकसूर पाया। 

डीएनए जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले में सितंबर 2003 में अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया लेकिन जल्दी इलाहाबाद हाई कोर्ट से अमरमणि को जमानत मिल गई और गवाहों को डराया धमकाया जाने लगा। 

जिस कारण निधि शुक्ला जो की मधुमिता की बहन है ने कैसे को दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि की जमानत रद्द कर कैसे उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया और देहरादून के सीबीआई कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि त्रिपाठी, मधुमणि त्रिपाठी, रोहित चतुर्वेदी संजय राय समेत 6 अभियुक्त को दोषी पाया कोर्ट ने हत्या में शामिल अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी को उम्र कैद की सजा सुनाई। 

देहरादून से गोरखपुर रिहाई तक

अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी उत्तराखंड में उम्र कैद की सजा काट रहे थे 2012 में उन्हें गोरखपुर जेल ट्रांसफर कर दिया गया और 2013 में अमरमणि गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज हॉस्पिटल पहुंच गए जहां उनकी पत्नी का भी इलाज चल रहा था निधि शुक्ला का आरोप है की बीते 10 साल से यह लोग गोरखपुर के बर्ड हॉस्पिटल में है ऐसी क्या बीमारी है जिसका इलाज देहरादून में नहीं हो सका। 

अमरमणि त्रिपाठी ने साल 2013 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार से अपनी रिहाई की अपील की थी उस वक्त अखिलेश यादव सरकार ने यह अपील ना मंजूर कर दी थी करण अमरमणि को सजा दूसरे राज्य में हुई थी। 

निधि शुक्ला ने अमरमणि और उनकी पत्नी को गोरखपुर में रखने की वजह से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का एक मामला दर्ज कराया था इसी महीने की 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस पर जवाब देने को कहा है निधि शुक्ला रहती हैं की उन्हें यह पता चला कि राज्य सरकार अमरमणि त्रिपाठी को छोड़ने की योजना बना रही है इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट गई थी और मैंने इसकी तारीख बता दी मुझे यह गलती हो गई राज्य सरकार ने एक दिन पहले ही 24 अगस्त को अमरमणि को रिहा करने का फैसला कर लिया। 

उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी अगर 14 साल की सजा पूरी कर लेते हैं तो राज्य सरकार उनके आचरण के आधार पर उन्हें रिहा कर सकती है और इसीलिए अमरमणि त्रिपाठी को और उनकी पत्नी को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के मामले में रिहा कर दिया गया। 

जबकि निधि शुक्ला का दावा है बीते 11 साल से अधिक दोनों दोषी इलाज के नाम पर अस्पताल में रहे हैं जेल में नहीं वह यह चाहती हैं की अमरमणि त्रिपाठी के आचरण को अच्छा बताने वाले अधिकारियों की भी जांच हो इसके लिए और इस फैसले के खिलाफ उन्होंने राज्यपाल को भी चिट्ठी लिखी है। 




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