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पुलिस की चूक या पुलिस में अपराधी की पकड़ ,71 मुकदमो के वावजूद विकास नहीं रहा टॉप टेन अपराधी लिस्ट में

कानपुर -50 हजार से एक लाख का इनामी बन चुके विकास पर 71 मुकदमे दर्ज थे। लेकिन पुलिसिया मिलीभगत में एक बड़ी चूक होती रही जिसमें विकास का आज दिन तक थानों के टॉप टेन बदमाशों की लिस्ट में नाम तक नहीं दर्ज किया गया था।


एसएसपी दिनेश कुमार पी कुछ ही समय पहले शहर आए हैं। समीक्षा बैठकों में उन्होंने शहर के अपराधियों का ब्यौरा जुटाया, इसमे विकास का नाम शामिल नहीं था। जिसके चलते जब सीओ विल्हौर ने एसएसपी को दबिश की जानकारी दी तो उन्होंने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। यदि विकास का नाम टॉप अपराधियों में होता तो फ़ोर्स अधिक भेजी जाती। रणनीति बनाकर पूरा ऑपरेशन होता।


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एसएसपी दिनेश कुमार पी का कहना है चौबेपुर एसओ से अधिकतर पुलिसकर्मी उसके संपर्क में थे, उसका थाने आना-जाना भी रहता था। विकास दुबे ना तो थाना स्तर और ना ही शहर स्तर की टॉप टेन अपराधियों की सूची में शामिल था। और तो और, उसके नाम गैंग भी रजिस्टर नहीं है। ये बात समझ से बाहर है।



पिता ने कहा कोर्ट में देखेंगे


पुलिस को विकास दुबे के 85 वर्षीय पिता राजाराम दुबे ने कहा विकास निर्दोष है। पुलिस उसे अपराधी बना रही है। कोई बात नहीं इसका फैसला कोर्ट में होगा। विकास के पिता का उसके पक्ष में मोर्चा खोलने को लेकर हर कोई दंग है। राजाराम ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस ने दबिश देकर बवाल मचाया। गुनहगार कौन है यह कोर्ट तय करेगा। विकास के पिता का कहना है कि घटना के वक्त विकास यहां था ही नहीं।


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जिस रात पुलिस पर गोलियां बरसाई गई उस रात हमले में कई कुख्यात बदमाशों, बेहद के डकैतों और टॉप शॉर्प शूटर शामिल थे। आशंका जताई जा रही कि जिस तरह का हमला हुआ वह सामान्य अपराधी नहीं कर सकते। कहा जा रहा है विकास ने कुछ समय से अपने साथ बाहरी लोगों को रखना शुरू कर दिया था।


15-20 लोग हमेशा उसके साथ साये की तरह रहते थे। उसके ये गुर्गे उसके घर मे रुकते थे। यह अपराधी खूंखार थे और हर समय असलहों से लैस रहते थे। जिनमें अधिकतर शूटर थे। हमले के वक्त भी ये सब मौजूद थे और इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया। विकास के बंकर नुमा घर मे आने जाने तीन बड़े, एक छोटा और दो गुप्त रास्ते थे।


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