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वोट बैंक के लिए राजनीतिक पार्टियां आरक्षण की समय सीमा को बढ़ा रहीं


  • करणी सेना ने ईडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

  • आर्थिक आधार पर संपूर्ण देश में आरक्षण दिए जाने की मांग


उरई। संसद में केंद्र सरकार द्वारा १० वर्ष आरक्षण दोबारा लगाए जाने एवं बिल पारित करने के विरोध में करणी सेना ने ईडीएम के माध्यम से राष्ट0्रपति को ज्ञापन भेजा है और संपूर्ण देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की मांग की गई न कि जातिगत आधार पर। 



करणी सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष सोमेश जादौन, देव ठाकुर, विष्णु तिवारी, राजदीप सिंह, दीपेन्द्र ठाकुर, बल्लू चौहान, अमन दीक्षित, हिमांशु दीक्षित, सागर सेंगर, अर्पित ठाकुर, बेटू पंडित, विकास चौहान आदि ने भेजे गए ज्ञापन में अवगत कराया है कि 26 नवंबर १९४९ को भारत का संविधान पारित किया गया जिसमें अति पिछड़े वर्ग के लिए १० वर्ष का आरक्षण दिया गया था जो कि इस वर्ग के लोग समाज से अलग हो जाने के कारण समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण दिया गया था लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने अपने स्वयं के लाभ एवं अपने वोट बैंक के लिए प्रत्येक दस वर्ष के बाद संसद में बढ़ाया जा रहा है जो कि लगातार ७० वर्षो से लागू किया जाता रहा है।


केंद्र सरकार इस बिल को दोबारा १० वर्ष के लिए आरक्षण बढ़ाने के लिए बिल पेश किया गया है जो संविधान में समाज के नियम के विरूद्व है क्योंकि संविधान में सबको देश में एक समान अधिकार दिया है, किसी विशेष जाति या धर्म को लाभ देने की अनुमति नहीं है। अगर इस पर विचार नहीं किया गया तो करणी सेना पूरे देश में आंदोलन करेगी इस आंदोलन में कोई क्षति होती है तो उसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार एवं शासन/प्रशासन की होगी। करणी सेना ने मांग की है कि देश में विशेष जाति के नाम से आरक्षण की अवधि न बढ़ाई जायें। देश के सभी जाति/धर्म के लोगो को आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्राविधान किया जायें।


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