खेतों में पसरा है सन्नाटा,फलियाँ नहीं गुनगुना रहीं अब कोई गीत
किसानों के दर्द को महसूस करने को भाजपा और अधिकारी एक साथ चल पड़े। सपा तो इसके पहले ही कदम बढ़ा चुकी थी। मदद मिलेगी तब मिलेगी पर दर्द से कराह उठे किसानों को राहत जरूर मिली। उन्हें इसी पर एतबार हुआ कि चलो - कम से कम तकलीफ को साझा करने को उनके पास चलकर आया तो गया। खेतों पर जाकर देखने को मिला कि वाकई कृषकों की मेहनत पर ' पानी ' फिर गया। दोषी ये पानी ही था । इस पानी ने ही उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
एक किसान ही है जिसकी मेहनत खुले आसमान के नीचे भाग्य भरोसे पड़ी होती है। उस पर न जाने कितने प्रकार की मुसीबतें आती हैं ! वह फसल को जानवरों से बचाये या कुदरत के आवारा बादलों से! मटर की फलियों के टूटने का जब इंतजार खत्म होने को था , तभी शुक्रवार को सफेद बादलों के बीच से जिस प्रकार ओले बरसे उन्होंने मटर, चना , गेंहूँ की फसलों की मुस्कुराहट छीन ली। दोपहर तक खुशियों से इठलाने वाली मटर की नाजुक फलियाँ दर्द से कराह उठीं। उनका अंग - अंग चुटहिल हो गया। किसानों को भी उनकी पीड़ा देखते नहीं बनी। अब तो किसी भी पौधे के मुंह से न तो कोई राग सुनने को मिल रहा न ही वह एक - दूसरे को हवा के झोंको के साथ आलिंगनबद्ध करते दिख रही हैं। हर खेत में सन्नाटा पसरा है। खेतों में मानो मुर्दानगी सी छाई है। धगवां खुर्द के बड़े काश्तकार संजीव गुर्जर कहते हैं कि खेत जाकर देखा तो छाती फट गई! एक घंटे की ओलावृष्टि ने सब कुछ तबाह कर डाला। कुछ इसी तरह का दर्द राजा भैया दौलतपुरा , संजय नायकऔर राजा बेटा निरंजन के चेहरे से भी झलका।
गौरतलब है कि ओलावृष्टि का केंद्र बिंदु पनयारा, कंकन खेड़ा, पडुवा, वर्ध,धगुवा कला, दौलतपुरा,धगुवां खुर्द,मनोरी रहा। नुकसान तो खरूसा , कुसमी से ही आरम्भ हो गया था ,जो एट- कोंच मार्ग के दर्जनों गांवों तक अब दिखाई दे रहा है।किसानों के दर्द को देखने के लिए सपा जिलाध्यक्ष नवाब सिंह यादव, पूर्व विधायक कप्तान सिंह राजपूत, वीरेंद्र सिंह यादव ,दीपराज गुर्जर , प्रतिपाल सिंह गुर्जर बट्टू सहित अन्य नेता और स्थानीय कार्यकर्ता इन गांवों तक पहुंचे। भरोसा दिलाया गया कि समस्या की घड़ी में पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है। फसल नष्ट होने का उन्हें मुआवजा दिलाया जाएगा। उनकी मांगों को लेकर पार्टी को यदि संघर्ष करना पड़ेगा तो उसे भी किया जाएगा।
उधर भाजपा ने भी देरी नहीं की। गांवों का दौरा तो कल भी हुआ था पर आज सामूहिक रूप से इन आपदाग्रस्त गांवों का भ्रमण कर किसानों की तकलीफों को न सिर्फ धैर्यपूर्वक सुना गया बल्कि उनके प्रति गंभीरता भी दिखाई गई। साफ - साफ कह दिया गया कि किसानों को ओलावृष्टि में जितना नुकसान हुआ है इसे ज्यादा से ज्यादा दिलाया जाएगा। किसी भी अधिकारी को इसमें बाधक नहीं बनने दिया जाएगा। बीमा कंपनी को भी पूरी पारदर्शिता के साथ मुआवजा देने का दबाव बनाया जाएगा। मुआवजा को लेकर सर्किट हाउस में बीमा कंपनियों के अधिकारियों सहित प्रशासन के अधिकारियों के साथ एक मीटिंग भी आहूत की गई। जिलाध्यक्ष रामेंद्र सिंह बनाजी, सांसद भानुप्रताप वर्मा, विधायक गौरीशंकर वर्मा , मूलचंद्र निरंजन की ओर से हताश किसानों को भविष्य में फिर से उठ खड़े होने की हिम्मत भी बंधाई गई। मौके पर मौजूद एडीएम और तहसीलदार ने कहा कि कितना नुकसान हुआ है इसकी रिपोर्ट जल्द तैयार कराई जाएगी। इस मौके पर रवींद्र सिंह हसनपुर,अन्नू शर्मा, सोनू चौहान आदि भी मौजूद रहे।
किसानों के हित को देखते हुए सपा ने अपने दो दिवसीय और भाजपा ने एक दिवसीय समारोहों को स्थगित कर दिया। पार्टियों की ओर से किसानों की तकलीफ में उनके प्रति हमदर्द होने का एक संदेश देने का भी प्रयास भी है। भाजपा की यह कोशिश भी है कि विपक्ष इसे मुद्दा न बनाने पाये। यह भी सत्य है कि इस ओलावृष्टि में किसानों ने जो नुकसान उठाया है इसकी भरपाई होना आसान नहीं । भाजपा के समक्ष भी उन्हें समय रहते आर्थिक मदद दिलवाना एक कठिन चुनौती होगी। साथ ही बीमा कंपनी और अधिकारियों के अनैतिक गठजोड़ को भी तोडना होगा , जिसमें सदैव सीधा - सरल किसान ही नुकसान में रहता है।
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