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भाजपा नेता और टोल मैनेजर का मामला छाया है सुर्खियों में

आटा टोल प्लाजा में महिला कर्मी की शिकायत को विवेचना में किया गया शामिल
- एक ही घटना के दो मुकदमें नहीं हो सकतें है दर्ज। 
- जांच के उपरांत हीं पता चल पायेंगा कि दोषी कौन ?


उरई।


टोल टैक्स देने के मामलें को लेकर विगत दिनो भाजपा नेता और टोल कर्मी की आपस में बहस हो गई थी और मामलें ने इतना तूल पकड लिया कि भाजपा नेताओं ने इसको प्रतिष्ठा का प्वाइंट बना लिया। वहीं अन्य पार्टी के नेता भी बहती गंगा में हाथ धोने में लग गए। जबकि वास्तविकता यह है कि मुकदमा दर्ज हो गया और टोल कर्मी द्वारा जो तहरीर दी गई थी उसको विवेचना में शामिल करके विवेचक द्वारा सही तथ्यों की जानकारी जुटाई जाने लगीं है।


मिलीं जानकारी के अनुसार आटा थाना के अंतर्गत आने वाला टोल जिस पर कुछ नियम शर्ते एनएचएआई द्वारा लागू की गई उन्हीं शर्तो पर यह टोल संचालित होता है और इस टोल को लेकर कई भ्रंातियां पैदा हो रहीं है। लोगो का कथन है कि जब कालपी का एनएचएआई पूरा नहीं हुआ तो इस पर टोल नहीं लगना चाहिए। वहीं कुछ लोगो का यह कहना है कि ६० किमी के दायरे में दो टोल पड़ते है ऐसी परिस्थितियों में लोकल के लोगो को इन टोलो से गुजरने पर अतिरिक्त टैक्स भरना पड़ता है यह एक गंभीर विषय है।



कालपी का एनएचएआई जो कि अभी भी बन रहा है और इसको लेकर कई बार जिला प्रशासन ने बैठके भी की है। एक दशक से यह जीर्णशीर्ण स्थिति में पड़ा रहा। प्रशासनिक प्रयास से इस पर दुबारा कार्य शुरू हुआ है। यह टोल कानपुर एनएचएआई के अंतर्गत आता है और इसको लेकर एनएचएआई के अधिकारियों से वार्ता भी की जा सकतीं है जिसके लिए भाजपा के सांसद, विधायकों या अन्य पार्टियों के नेताओं द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की गई। इस घटना को लगभग एक सप्ताह पूरा होने को आ रहा है। मामला हवा में लटका हुआ है। विवेचक विवेचना कर रहें है, तर्क और विर्तक से काम चलाया जा रहा है।


वहीं जानकारी के अनुसार यूपी 92 या अन्य जनपद कोई भी प्राइवेट वाहन पर ८५ रूपए जाने का और वापिसी का १२५ रूपए टोल अदा करना चाहिए। वहीं २० किमी के दायरें में जो भी आता है उसका २६५ रूपए मंथली पास बना दिया जाता है। जानकारी अनुसार लोकल यूपी ९२ को लगभग ४० रूपए कनशेशन देने का भी टोल में अपनी तरफ से एक इंतजाम किया हुआ है जबकि एनएचएआई द्वारा इस तरह के आदेश निर्देश जारी नहीं है।


वहीं मामला अत्यधिक तूल पकडने के कारण एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा जिलाधिकारी को संभवत: नियमावली से अवगत कराया गया है। टोल को लेकर जो तरह-तरह की भ्रंातियां पैदा हो रहीं है और लोग आरोप-प्रत्यारोप लगाकर सिर्फ खबरो के माध्यम से सुर्खियों बटोरने का काम कर रहें है जबकि वास्तविकता इससे हटकर है। जांच के दौरान सारी स्थिति साफ हो जायेगीं कि वास्तविक रूप से दोषी कौन है।


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