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दाएं हाथ की कलाई पर राखी बांधने के आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक कारण

 रक्षाबंधन हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल यह 30 अगस्त यानी बुधवार को है. रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं. राखी भाइयों के दाहिने हाथ की कलाई पर बांधी जाती है, जिसके पीछे आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं. साथ ही मुहूर्त पर ही राखी बांधना शुभ माना गया है.

बहन को भाई की दाहिनी कलाई पर ही राखी बांधनी चाहिए. शरीर का दाहिना हिस्सा पवित्र होता है और यह सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए धार्मिक कार्यों में सभी काम सीधे हाथ से ही किए जाते हैं. शरीर के दाहिने हिस्से में नियंत्रण शक्ति भी ज्यादा होती है.

आगे बताया, दाहिने हाथ को वर्तमान जीवन के कर्मों का हाथ भी माना जाता है, इसलिए कहते हैं की दाहिने हाथ से किए गए दान, धर्म को भगवान स्वीकार करते हैं. मंदिर में पूजा के समय बांधा जाने वाला कलावा भी दाहिने हाथ में ही बांधा जाता है. शास्त्रों के अनुसार राखी भी दाहिने हाथ की कलाई पर ही बंधती है.

कलाई पर ही क्यों बांधते हैं राखी
क्या आपने कभी सोचा है कि राखी को कलाई पर ही क्यों बांधते हैं? दरअसल, इसके पीछे आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक और मनोवैज्ञानिक कारण हैं. आध्यात्मिक कारणों की बात करें तो माना जाता है कि कलाई पर राखी बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है.

इस साल राखी बांधने का मुहूर्त
रक्षाबंधन धागा समारोह समय – 30 अगस्त को रात्रि 9:01 बजे के बाद
रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति समय – 30 अगस्त को रात्रि 09:01 बजे
रक्षाबंधन भद्रा पुंछा – शाम 05:30 बजे से शाम 06:31 बजे तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06:31 बजे से रात 08:11 बजे तक


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