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Navratri 2020 :चौथा दिन, माँ कूष्मांडा देवी की पूजा से कष्ट होंगे दूर,करें ये उपाय

आज नवरात्र का चौथा द‍िन है।इस दिन माँ कुष्मांडा देवी पूजा की जाती है। अपनी मंद मुस्‍कुराहट और अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारंण इन्हें कूष्‍मांडा देवी के नाम से जाना जाता है।यह अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं। 



नवरात्र के दौरान हर दिन का अलग महत्त्व होता है। आज इस महात्योहार का चौथा दिन है। यह द‍िन मां श्रीदुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां ने अपने हाथों में धनुष, बाण, अमृत कलश, चक्र, गदा, कमल और कमंडल धारण किया हुआ है।वहीं संस्कृत भाषा में मां कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है। ज्योतिष में इनका संबंध बुध ग्रह से है। 


पूजा की विधि 


हरे वस्त्र धारण करके माँ कुष्मांडा का पूजन करें। पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें। इसके बाद उनके मुख्य मंत्र "ॐ कूष्मांडा देव्यै नमः" का 108 बार जाप करें। चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।


मां कुष्‍माण्‍डा को आदिशक्ति का चौथा रूप माना जाता है। इनमें सूर्य के समान तेज है। मां का निवास सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है, जहां कोई भी निवास नहीं कर सकता। देवी कुष्‍माण्‍डा की पूजा अर्चना से सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है।


इन मंत्रों का करें जाप-


1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता.नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:


2. सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्मा याम कुष्मांडा शुभदास्तु में...


3.ॐ कूष्माण्डायै नम:


4. वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्.सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥





 

 

 

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