- गांवों में इस बीमारी को पहुंचने से रोकना अब बहुत जरूरी
- भारत में 10 लाख से ज्यादा संक्रमित है
- 25 हजार लोगों की हो चुकी मौत
भारत में कोरोनावायरस 15 सितंबर के आसपास चरम पर हो सकता है। लोगों को कोरोनावायरस को काबू करने के लिए बहुत ही जिम्मेदार रवैया अपनाना होगा। सबसे बड़ा काम इसे गांवों तक पहुंचने से रोकना है, क्योंकि यहां देश की दो तिहाई आबादी रहती है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने शनिवार को ये बाते कहीं। उन्होंने कहा कि यह वायरस नई ताकत से बढ़ रहा है।
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राज्यों में अलग-अलग समय पर चरम पर पहुंचेगा कोरोना
प्रोफेसर रेड्डी ने कहा- अलग-अलग जगहों (राज्यों) में अलग-अलग समय में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर पहुंचेगा। डॉ. रेड्डी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड भी रह चुके हैं। वे मौजूदा समय में हार्वर्ड में स्टडी के काम से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस समय हमारा मुख्य काम इस वायरस को छोटे शहरों और गांवों में पहुंचने से रोकना है। अगर हम इसे रोक लें तो अभी भी बड़ा नुकसान टाल सकते हैं।
कई जगहों पर हुईं गलतियां
- प्रोफेसर रेड्डी ने कहा कि लॉकडाउन के दूसरे चरण तक कोरोना को फैलने से रोकने के लिए बहुत सख्ती से लॉकडाउन किया गया, लेकिन 3 मई के बाद लॉकडाउन में ढील मिली तो हमें जोरदार तरीके से घर-घर जाकर सर्वे, टेस्टिंग, आईसोलेशन करना चाहिए था, जो हमने नहीं किया।
- लॉकडाउन में ढील मिलते ही कोई एहतियात का पालन नहीं किया गया। ऐसा लगा जैसे सब आजाद हो गए हैं। जैसे- स्कूल में एग्जाम के बाद छात्र रिजल्ट आने से पहले ही खुशी मनाने लगे हों।
- हमने बहुत ज्यादा समय अस्पलात और बेड कैपेसिटी को लेकर बिताया। हालांकि, यह भी जरूरी था, लेकिन ट्रेसिंग का पूरा जिम्मा केवल पुलिस को सौंप दिया गया। जबकि, इसे पब्लिक हेल्थ फंक्शन के रूप में देखना चाहिए था।