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गलवान घाटी मे चीनी कायरता और धोखेबाजी की कहानी ..........

गलवां घाटी में हुई झड़प के दौरान चीनी सैनिकों ने कायरता की सारी हदें लांघ दीं। पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर जिस जगह पर ये झड़प हुई है, वहां चीनी फौज ने अपनी भारी संख्या का फायदा उठाकर पहले भारतीय सैनिकों को घायल किया और फिर उन्हें एलएसी से काफी अंदर तक ले गए।


चीन ने छह जून को हुए समझौते की शर्तें तोड़ दी और इसी का फायदा उठाकर भारतीय सैनिकों के साथ बर्बरता करनी शुरू कर दी। कई घंटे बाद जब चीनी फौज ने भारतीय सैनिकों को वापस एलएसी पर छोड़ा तो वे अंतिम सांस ले रहे थे।


भारतीय सैनिक इस भरोसे में रहे कि एलएसी पर आई चीनी फौज धीरे-धीरे पीछे चली जाएगी। सूत्रों का कहना है, जब पहली झड़प शुरू हुई तो उस वक्त भारतीय सैनिकों की संख्या चार दर्जन से अधिक नहीं थी।


भारत सरकार ने अपने बीस सैनिकों के शहीद होने की अधिकारिक जानकारी दी है।लद्दाख की गलवां घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच सोमवार की रात हुई झड़प एक बड़ी साजिश का हिस्सा रही है। 



जब यह झड़प शुरू हुई तो उस वक्त चीनी सैनिकों की संख्या सात सौ से अधिक रही थी। दिन ढलने के बाद चीनी सैनिकों ने कई दर्जन भारतीय जवानों को घायल कर दिया था।


रात 11 बजे तक वहां भारतीय सैनिक भी अच्छी खासी तादाद में पहुंच चुके थे, लेकिन चीन के मुकाबले वह संख्या काफी नहीं थी। सूत्रों ने बताया कि चीनी फौज की यह झड़प एक बड़ी सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।


चीन ने अपने सैनिक एलएसी के निकटवर्ती इलाकों में छिपा रखे थे। पूर्व सेना अध्यक्ष जन. वीपी मलिक कहते हैं कि भारत को अब एलएसी पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ानी होगी।


गश्त के दौरान या गलवां घाटी जैसे गतिरोध में सैनिकों के पास हथियार अवश्य होना चाहिए। चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। रक्षा विशेषज्ञ डीएस ग्रेवाल के अनुसार, चीन ने जिस कायरता से हमारे सैनिकों पर हमला किया है, उससे चीन की धोखेबाजी वाली मंशा दुनिया के सामने आ गई है।


इससे साबित होता है कि चीन गलवां घाटी पर कब्जा जमाना चाहता है। कैबिनेट सचिवालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव 'रॉ' जयदेव रानाडे के मुताबिक, मौजूदा स्थिति में चीन को कड़ा जवाब देना होगा।


इसमें ग्राउंड पर ज्यादा से ज्यादा दबाव बनाया जाए, साथ ही राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रेशर डाला जाए। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी सैन्य पॉलिसी पर हम भरोसा नहीं कर सकते। ये इतनी बड़ी झड़प जिनपिंग की मंजूरी के बिना संभव नहीं थी।


 


 


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