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कोरोना वायरस (Coronavirus) और ज्योतिष ,बचाव व उपाय

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जाहिर किया गया है कि कोरोनावायरस का प्रभाव सी-फूड से हुआ है यानि समुद्री उत्पादों से। ज्योतिष मानव जीवन को प्रभावित करने वाले पंचमहाभूतों में सामजस्य रखने पर जोर देता है। आइये जानते हैं कोरोना वायरस का ज्योतिषीय आधार:


कोई भी रोग किसी एक ग्रह के कारण नहीं होता अपितु अनेक ग्रहों के संयोजन और राशियों के प्रभाव के कारण होता है।
चंद्रमा का प्रभाव विशुद्ध रूप से इस रोग को फैलाने में शामिल है क्योंकि समुद्र और समुद्र से संबंधित उत्पादों पर चंद्रमा का आधिपत्य होता है। 
इसके अलावा विषाणु जनित रोगों के लिए राहु केतु भी जिम्मेदार माने जाते हैं तथा बुध ग्रह पर शनि और मंगल का प्रभाव हो तो भी ऐसी ही परिस्थितियों का निर्माण होता है।  सूर्य आरोग्य का कारक है और यदि वह गोचर में कमजोर चल रहा हो तो भी रोग होने की संभावना बढ़ जाती। 



वर्तमान में शनि की राशियों में जनवरी से सूर्य का गोचर हुआ है जोकि मध्य फरवरी तक मकर राशि में और उसके बाद मध्य मार्च तक कुंभ राशि में रहेगा। इस प्रकार शनि की राशि में होने से सूर्य कमजोर स्थिति में होता है। 
कोरोना वायरस की विकट स्थिति निमोनिया जैसे लक्षण भी पैदा करती है, जिसके लिए बुध ग्रह भी जिम्मेदार माना जाता है। 
बृहस्पति का काम है वृद्धि करना अर्थात बढ़ाना या प्रसार करना, तो इस रोग के फैलने में बृहस्पति भी मुख्य भूमिका निभा रहा है। 
मिथुन राशि से गले के रोग देखे जाते हैं तथा कर्क राशि फेफड़े और जल संबंधित बीमारियों को दर्शाती है। कर्क और मिथुन राशि का पीड़ित होना भी आवश्यक है।
वर्तमान समय में राहु का गोचर मिथुन राशि में ही चल रहा है तथा मंगल भी बृहस्पति और केतु के साथ धनु राशि में बैठकर पूर्ण रूप से मिथुन और कर्क राशि को देख रहा है, ऐसी स्थिति में मिथुन और कर्क दोनों ही राशियाँ पीड़ित हैं। 


भारत में कोरोना वायरस


सारी दुनिया को परेशान करने वाला कोरोना वायरस अब भारत में भी दस्तक दे चुका है और लगभग 29 लोगों में इसका संक्रमण पाया गया है। भारत में भी लोगों में यह संक्रमण बढ़ने की स्थिति दिखाई दे रही है। आइए स्वतंत्र भारत की कुंडली से इस पर थोड़ा विचार करते हैं:



(स्वतंत्र भारत)


स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न और कर्क राशि की है तथा वर्तमान में चंद्रमा की महादशा में  शनि की अंतर्दशा और शनि की प्रत्यंतर दशा चल रही है।
भारत की कुंडली में चंद्रमा तीसरे भाव का स्वामी होकर तीसरे भाव में शुक्र, बुध, सूर्य और शनि के साथ विराजमान है तथा शनि के नक्षत्र पुष्य में स्थित है।
शनि भारत की कुंडली के लिए नवें और दसवें भाव का स्वामी है तथा यह भी कर्क राशि में चंद्रमा के साथ अश्लेषा नक्षत्र (नक्षत्र स्वामी बुध) में स्थित है।
दिसंबर 2019 से कोरोना वायरस (coronavirus) फैलना शुरू हुआ है और भारत में इसकी दस्तक फरवरी 2020 के महीने में देखने को मिली है। यदि गोचर पर नजर डाली जाए तो देव गुरु बृहस्पति अभी धनु राशि में विराजमान हैं जो भारत के लग्न से आठवें भाव की राशि तथा चंद्र राशि से छठे भाव की राशि है तथा शनि लग्न कुंडली से नवें तथा चंद्र कुंडली से सातवें भाव में विराजमान हैं।
हमने पूर्व  में भी यह संभावना जाहिर की थी कि वर्ष 2020 में भारत तथा विश्व के कुछ प्रमुख देशों को किसी बड़ी आपदा या महामारी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
छठा भाव बड़ी बीमारियों को तथा अष्टम भाव विशेष आपदाओं को भी बताता है तथा संकट के समय का द्योतक है। बृहस्पति का गोचर धनु राशि में भारत के लिए किसी भी दृष्टिकोण से अनुकूल नहीं था और बृहस्पति तथा शनि गोचर के अंत में परिणाम देने वाले मुख्य ग्रहों में से एक हैं। बृहस्पति (अष्टम भाव गत होकर) धनु राशि को छोड़कर मकर की ओर जा रहा है। ऐसे में बड़ी बीमारी फैलने की आशंका होती है।
30 जून को बृहस्पति वक्री अवस्था में एक बार फिर धनु राशि में प्रवेश करेगा और 20 नवंबर तक वहां स्थित रहेगा। ऐसी संभावना है कि मई से सितंबर के बीच में कोरोना वायरस जैसे संक्रामक रोग और अधिक बढ़ने की संभावना दिखाई दे रही है।
सबसे बड़ी बात यह है कि वर्तमान समय में मंगल और केतु भी गुरु के साथ धनु राशि में बैठे हैं जो कि इस स्थिति को गंभीर बना रहे हैं।
सितंबर के बाद जब बृहस्पति वक्री अवस्था से बाहर निकलेगा और नवंबर में मकर राशि में प्रवेश करेगा, उस समय तक इस रोग पर रोकथाम लग जाने की संभावना दिखाई देती है।



कोरोना वायरस (Coronavirus) और ज्योतिषीय उपाय 


कोई भी विषाणु आप पर तभी  आक्रमण कर सकता है, जब आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो। कोरोना वायरस (coronavirus) भी एक विषाणु है, जो आपको संक्रमित करता है, इसलिए आपको इसकी रोकथाम के कुछ उपाय करने चाहियें।  ज्योतिष और आयुर्वेद का पुराना सम्बन्ध है और उसी के अनुसार कुछ विशेष उपाय बताये गए हैं:


उपाय के रूप में सर्वप्रथम आपको अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार नींबू, हरी मिर्च, संतरा, लहसुन, दही खाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। 
इसके अलावा संक्रामक रोगों से बचने के लिए विटामिन सी का सेवन करना चाहिए जो कि नींबू और आंवले में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। 
विटामिन डी प्राप्त करना भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे रोगों से लड़ने में सहायता मिलती है। विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है।
इसके अलावा आपको इलायची, लौंग, काली मिर्च और जावित्री को मिलाकर अपने पास किसी पुड़िया में रखना चाहिए। इसके अलावा आप अपने माथे पर शुद्ध सिंदूर का तिलक लगाएँ क्योंकि इसमें सीसा (लेड) पाया जाता है और आयुर्वेद के अनुसार सीसा की भस्म कई रोगों को दूर करने में सक्षम होती है और यह शरीर की कांति को बढ़ाने वाला होता है तथा कफ को दूर करता है। 
इसके अलावा प्रतिदिन अपने घर में गाय के गोबर से बने उपले पर कपूर और गूगल तथा लोबान जलाकर पूरे घर में घुमाएं, जिससे विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं का नाश हो सके और वातावरण भी शुद्ध हो जाये।
आपको प्रतिदिन 3 – 4 बूँद गोमूत्र का सेवन करना चाहिए। 
इनके अलावा ऊपर जिन जिन ग्रहों का वर्णन किया गया है, उन ग्रहों को मजबूत करने के उपाय भी आपको करनी चाहिए ताकि इनसे होने वाली समस्याओं में कमी आए। 
प्रतिदिन योग और व्यायाम करें, जिससे आपका शरीर मजबूत हो और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े तथा आप कोरोना वायरस की चपेट में आने से बच सकें।


बचाव के लिए करें ये उपाय


ज्योतिष के अनुसार कोई भी वायरस राहु और शनि से प्रभावित होता है। जो ऑक्सीजन को दूषित करके हवा को विषैला बनाते हैं।  राहु का संबंध धुएं और आसमान दोनों से है। ऐसे ही कोई भी वायरस हवा में कहीं भी पहुंच जाता है। शनि हवा में पैदा हुए कण हैं, जो इसको फ़ैलाने में मदद करते हैं और अभी राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं। जो भारत की कुंडली का दूसरा घर और आम इंसान के मुंह और नाक का भी घर है। इस घर में चंद्र उच्च के और बृहस्पति कारक ग्रह हैं। शनि अपनी मकर राशि में हैं और ये हमारी ऑक्सीजन को प्रभावित करते हैं। जिसका कारक ग्रह बृहस्पति है। 


नाक के जरिए सांस लिया जाता है और ऑक्सीजन शरीर तक पहुंच कर जीवन प्रदान करती है। कोरोना वायरस का हमला सांस के जरिए मानव शरीर में पहुंच कर नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे उसे जीवन तक से हाथ धोना पड़ रहा है।पूरे ब्रह्मांड की ऑक्सीजन पर बृहस्पति का स्वामित्व स्थापित है। ऑक्सीजन बारिश के कारण पैदा होती है, जिससे पेड़-पौधे फलते-फूलते हैं और स्वच्छ वायु देते हैं। जिसका कारक ग्रह चंद्र है। 


वर्तमान समय में भारत पर कोरोना वायरस का असर शुरू हो चुका है। चंद्र और बृहस्पति दोनों ग्रह उत्तर दिशा को केंद्रित करते हैं।भारत में इसका असर उत्तरी भारत में ज्यादा होगा जैसे कि दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर। होली के बाद इसका असर शुरु होगा।


अमावस्या  से इस कोरोना वायरस को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है। 30 मार्च से बृहस्पति अपनी नीच राशि में प्रवेश करेंगे, जहां शनि देव पहले से ही बैठे हैं। आठवे भाव में मंगल और केतु अंगारक दोष बना रहे हैं। ग्रहों के इस प्रभाव के परिणाम स्वरुप आमजनमानस अस्पताल के चक्कर लगाएंगे।


दिन के बजाय रात में करोनावायरस का असर ज्यादा रहेगा लेकिन जैसे जैसे गर्मी का मौसम बढ़ेगा तो इसके प्रभाव में कटौती होनी शुरू हो जाएगी। 13 अप्रैल से सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे तो करोनावायरस का अंत शुरू होगा। इसके लिए हर व्यक्ति को अपना चंद्र और बृहस्पति शुभ स्थिति में रखने की अवश्यकता है। 


कोरोना वायरस से बचाएंगे ये ज्योतिषीय उपाय


ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। ठंडे पानी को एवॉइड करें, गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें।


महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। 


प्रतिदिन सुबह गंगा जल का अपने घर में छिड़काव करें।


शाम को घर में कपूर के ऊपर हवन सामग्री डालक धुंआ करें।


सुबह स्नान के बाद केसर का तिलक लगा कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। 


घर में नवग्रह हवन करवाएं, इससे हवा में करोनावायरस का असर खत्म हो जाएगा, आप और आपका परिवार सुरक्षित रहेंगे।     


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