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एडीओ पंचायत डकोर को प्रधान पुत्र ने दी धमकी, तानी रिवाल्वर

उरई। रोक के बाबजूद लाखों रूपए निकालने का मामला जांच में सही पाया गया तो प्रधान सहित उनका परिवार बिलविला गया। वहीं सचिव पर हुई कार्यवाहीं, किए गए निलंबित, प्रधान पुत्र ने एडीओ पंचायत डकोर मौजूदा चार्ज कदौरा को डीपीआरओ कार्यालय में धमकाते हुए जांच बदलने का दबाब बनाया और रिवाल्वर तान दी ताकि भयभीत होकर वह दस्तावेजों में हेराफेरी कर दे और वों जांच में निर्दोष सिद्व हो सकें। मामला अत्यधिक बढने पर लोगो के समझाने बुझाने पर बडी घटना घटने से बच गई।



 जांच में पाए गए दोषी, रोक के बाबजूद निकाला १४ लाख का भुगतान 
- दस्तावेज बदलने के लिए डाल रहें थे दबाब
- मुख्य विकास अधिकारी ने सौंपी थी जांच
- घटना डीपीआरओ कार्यालय में घटीं


आज डीपीआरओ कार्यालय में एडीओ पंचायत बलवीर सिंह सेंगर बैठे हुए थे उसी समय महिला प्रधान पिपरायां ऊषा देवी के पुत्र गौरव वहां पर आ गए और उन्होंने अपने लाइसेंसी रिवाल्वर का खौफ दिखाते हुए एडीओ पंचायत पर दबाब जांच बदलने का बनाया। जब उन्होने मना किया तो बोला कि भारी परिणाम आपको भुगतना होगें। यह नजारा देखकर कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। वहीं पिपरायां के सचिव जयपाल सिंह मामलें में दोषी पाए गए और निलंबित कर दिए गए।


ज्ञात हो कि पंचायत के भुगतान पर १५ अगस्त २०१९ से रोक लगीं हुई थी। डोंगल सिस्टम की व्यवस्था लागू कर दी गई थी, रोक के बाबजूद ९ सितंबर को पिपरांया प्रधान द्वारा सचिव की मिलीभगत से १४ लाख रूपए निकाल लिए गए और इसकी शिकायत मुख्य विकास अधिकारी प्रशंात कुमार से की गई। उन्होने इसकी जांच एडीओ पंचायत श्री सेंगर को सौंप दी। सेंगर ने अपनी जांच करके मामला उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दिया और जिसमें सचिव पर कार्यवाही हो गई और प्रधान को ९५ छ एक्ट के तहत कारण बताओं नोटिस जारी किया गया।


इस नोटिस से प्रधान और उसका परिवार बिलबिला गया और उन्होने दबाब की राजनीति अपनाना प्रारंभ कर दी। घटना 12 बजे की है। एडीओ पंचायत ने मुख्य विकास अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी को भी लिखित रूप से सूचित किया है। वहीं पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही की मांग की है।


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