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प्रेम,त्याग व विश्वास के महापर्व करवाचौथ व्रत के नियम

करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है,'करवा' यानि कि मिट्टी का बर्तन व 'चौथ' यानि गणेशजी की प्रिय तिथि चतुर्थी। प्रेम,त्याग व विश्वास के इस अनोखे महापर्व पर मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्व है,जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पण किया जाता है ।


करवा चौथ'.... ये एक ऐसा दिन है जिसका सभी विवाहित स्त्रियां साल भर इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा-भाव से पूरा करती हैं. करवाचौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. कार्तिक मास की चतुर्थी जिस रात रहती है उसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाता है. इस साल यह व्रत 17अक्टूबर को किया जाएगा।



फोटो साभार wikihow


🌹पूजन मुहूर्त🌹


17 अक्तुबर 2019, बृहस्पतिवार I
सायं 5:48: से 6:58: तक
अवधि: 1 घंटे 10 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय सायं 8:20 पर 
चतुर्थी तिथि बृहस्पतिवार सुबह
6:49 से शुक्रवार सुबह 7:29 तक I


🌹करवा चौथ व्रत के नियम🌹


महिलाएं सुबह सूर्योदय के बाद  पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं. दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है. शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है. चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं. पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाते हैं।


🌹करवा चौथ में सोलह श्रृंगार🌹


इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार में माथे पर लंबी सिंदूर अवश्य हो क्योंकि यह पति की लंबी उम्र का प्रतीक है। सिन्दूर,मंगलसूत्र, मांग टीका, बिंदिया ,काजल, नथनी, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये 16 श्रृंगार में आते हैं।


🌹करवा चौथ व्रत विधि🌹


* व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
 
💥"मम सुख सौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।''💥


* दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है। 


* आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं। 


* पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। 


* गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें। 


* जल से भरा हुआ लोटा रखें। 


* वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। 


* रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। 


* गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें। 


💥"नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥'💥


* करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। 


* कथा सुनने के बाद अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। 


* तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें। 


* रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। 


* इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। 


बाकी व्रत रखने की सबकी आपनी-अपनी परम्परायें और विधि है, आप अपनी कुल परम्परा के अनुसार पूजा करें I 


जब चंद्र को अर्घ्य दें तो यह मंत्र बोलें.... 


💥"करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥"
 ...... या  .... #ॐसोमसोमाय_नम:॥"💥


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