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जीएसटी की मार से शहर के आधा दर्जन से अधिक एटीएम हुए ठप

- नहीं उगल रहें रूपया, संचालक मना रहें है मातम
- दिख रहा है बाजार में असर 


उरई।


जीएसटी की मार से अछूूते नहीं है एटीएम और एक करोड से अधिक नगदी पर दो प्रतिशत की दर से सरचार्ज या जीएसटी लगाए जाने का प्रावधान भारत सरकार द्वारा कर दिया गया है जिसकी वजह से बैंकर्स से लेकर जो प्राइवेट कंपनियां एटीएम के व्यवसाय में जुड़ी थी उन्हें अपनी साख बचाना मुश्किल पड़ रहा है और जितना उन्हें ट्रांजिक्षन में मिलता था उससे अधिक टैक्स के रूप में भरपाई करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से शहर में अधिकांश एटीएम बंद हो गए और नगदी का संकट एटीएम उपभोक्ताओं को सताने लगा है। 



मिलीं जानकारी के अनुसार जिस तरह से व्यापारियों का एक करोड रूपया नगदी निकालने पर 2 प्रतिशत सरचार्ज या जीएसटी लगाया जा रहा था परंतु कुछ दिन पहले देश की वित्त मंत्री ने यह द्योषणा की थी कि व्यापारियों को नगदी निकालने पर अब यह धनराशि नहीं देना पड़ेगी परंतु इसका जीओ व्यापारियों के पास तो आ गया लेकिन बैंक में प्राप्त नहीं हुआ है इस बात की पुष्टि गल्ला व्यापारी संघ के अध्यक्ष प्रदीप माहेश्वरी ने की है। किसानो का सीजन प्रारंभ हो गया है और एक करोड का भुगतान गल्ला मंडी में करना कोई बडी बात नहीं है ऐसे में व्यापारियों और किसान दोनो ही परेशान है। ऐसा ही कुछ हाल एटीएमओं का है कि 1 करोड के ट्रांजिक्षन पर दो प्रतिशत का प्रावधान किया गया है। उससे समस्या एक नहीं अनेक पैदा हो रहीं है।


भारत सरकार के इस निर्णय से जहां प्राइवेट लोग एटीएम के धंधे में जुड़े हुए थे और उन्हें प्रतिदिन ट्रांजिक्शन कुछ कमीशन प्राप्त होता था परंतु जैसे ही वों एक करोड की सीमा को पार करते है तो उन्हें दो प्रतिशत देना पडता मतलब दो लाख रूपए। टर्न ओवर काफी अधिक होने के कारण जो कुछ एटीएम के धंधे में लोग कमाते है वों सब सरकार को देना पड़ रहा है ऐसे में राष्ट्रीयकृत बैंको के एटीएम चल सकतें है क्योंकि बैंक यह मार झेल सकती है परंतु प्राइवेट कंपनियां जो एटीएम के धंधे में जुडी हुई उनका बुरा हाल होने लगा है। बैंको से जितनी भी सुविधायें उपभोक्ता ले रहा है कहीं न कहीं उससे कटौती की जा रहीं है और यह कटौती धीमें-धीेमे अब नजर भी आने लगीं है।


जितनी तेजी से पहले एटीएम खुलें थे उतने ही तेजी से वों बंद भी होने लगे है। पहले एटीएमों पर लाइन कम लगती थी अब कुछ ही एटीएम काम कर रहें है जिसकी वजह से लंबी चौडी लाइन नजर आती है। जीएसटी या अन्य कर जो कि लोगो के लिए आफत बनते जा रहें है और कैश की समस्या पैदा हो गई है। नेट बैंकिंग हर व्यक्ति जानता नहीं है, कुछ लोगो को रोजाना की चीजें खरीदते समय कैश की जरूरत पड़ती है लेकिन जब एटीमए ही ठप पड़ गए है तो उन्हें कैश मिलना एक समस्या पैदा हो गई है। वित्त मंत्री द्वारा कई दिन पहले जो द्योषणा की गई थी उससे व्यापारियों को लगने लगा था कि राहत मिल जायेंगी।


चूंकि किसानी का सीजन प्रारंभ होने वाला है और धान की फसल खेतो में लहलहा रही है अगर ट्रांजिक्शन से दो प्रतिशत नहीं हटता है तो निश्चित रूप से आने वाले दिनो में व्यापारी और किसान दोनो ही अच्छें खासे परेशान आयेंगें। हालांकि वित्त मंत्री की द्योषणा के बाद कब तक लोगो को राहत मिलेंगी यह तो भारत सरकार की बता सकतीं है परंतु अगर राहत में देर होती है तो निश्चित रूप से इस नुकसान की भरपाई करना संभव नहीं होगा। 


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