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महालक्ष्मी व्रत के समापन पर राशि अनुसार करें पूजा,महालक्ष्मी व्रत का समापन 21 सितंबर को होगा।

महालक्ष्मी व्रत का 6 सितंबर से प्रारंभ हुआ था और इसका समापन 21 सितंबर को होगा। 


महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से इस व्रत की शुरुआत होती है, जो 16 दिनों तक चलता है। हर साल राधाष्टमी के दिन से शुरु होने वाला यह व्रत 6 सितंबर 2019 से शुरु होकर 21 सितंबर 2019तक चलेगा। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से दरिद्रता दूर होती है और धन की देवी मां लक्ष्मी अपने भक्तों का कल्याण करती हैं।



महत्व – महालक्ष्मी व्रत में धन और वैभव की देवी लक्ष्मी जी की पूजा होती है। महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक किया जाता है। सोलह दिनों तक रखे जाने वाले इस व्रत में शाम के समय चंद्रमा को अर्ध्य भी दिया जाता है। वैसे तो यह व्रत 16 दिनों तक किया जाता है।


लेकिन अगर सोलह दिनों तक व्रत रख पाना संभव न हो तो इस व्रत को अपने सामर्थ्य के अनुसार कम दिनों तक भी रखा जा सकता है। बिना अन्न ग्रहण किये इस व्रत को रखा जाता है और सोलह दिनों का व्रत पूर्ण होने के बाद इसका विधि विधान उद्यापन कर दिया जाता है।


पूजा विधि – 16 दिनों तक रखे जाने वाले इस व्रत में प्रत्येक दिन 16 अंजलि कुल्ले करके प्रातः स्नान आदि नित्य कर्म करना चाहिए। इसके बाद माता लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति की स्थापना की तैयारी करें। माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना के बाद उसके समीप 16 सूत्र के डोरे में 16 गांठ लगाएं। फिर उनका 'लक्ष्म्यै नमः' मंत्र से एक गांठ का और माता लक्ष्मी का विधि विधान से पूजन करें।


पूजन सामग्री में चन्दन, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, इत्यादि चीजों का प्रयोग करें और प्रसाद स्वरूप फल मिठाई रखें। पूजा के पश्चात पूजा किए गए डोरे को दाहिने हाथ पर बांधते समय इस मंत्र का जाप करें-
धनंधान्यं धरां हर्म्यं कीर्तिमायुर्यश: श्रियम्।
तुरगान् दन्तिन: पुत्रान् महालक्ष्मि प्रयच्छ मे।


व्रत वाले दिन सुबह पूजा करने के बाद शाम के समय भी मां लक्ष्मी की इसी विधि से पूजा करें। इन दिनों में एक दीपक मां लक्ष्मी के आगमन के लिए अपने घर के बाहर जलाएं। इसके बाद चंद्रमा को अर्ध्य भी अवश्य दें।


महालक्ष्मी व्रत के समापन पर राशि अनुसार ऐसे करें पूजा।हर राशि को ख़ास भोग और धूप-अगरबत्ती जलानी है।


मेष-  परिवार में  प्यार और सबकी आयु  बढ़ाएगा -धन आएगा लक्ष्मी जी के पास   लोबान  की धूप  सूखी चन्दन  मिलाकर               जलाए  लडडू  का भोग लगाएं।


वृष-  मनचाहा वाहन और घर मिलेगा लक्ष्मी जी पास   चंदन  की धूप जलाएं --रसगुल्ला  चढ़ाएं। 


मिथुन-  घर में सभी को  मन की शान्ति और धन मिलेगा  लक्ष्मी जी के पास  गुग्गल  की धूप  या अगरबत्ती जलाएं -पेठा चढ़ाएं।


कर्क- धन आएगा और  सभी  को रोगों  और शत्रु से मुक्ति मिलेगीलक्ष्मी जी के पास  पर घी का दीपक मोगरा धूप जलाएं --               मालपुआ  चढ़ाएं। 


सिंह- नौकरी में प्रोमोशन और सैलरी बढ़ेगीलक्ष्मी जी पास  चंदन  की धूप  जलाएं  -गुड़  चढ़ाएं


कन्या- धन -व्यापार  में तरक्की  और क़र्ज़ से मुक्ति मिलेगी लक्ष्मी जी के पास  दूप में में कपूर मिलाकर जलाएं --पिस्ता बर्फी              चढ़ाएं। 


तुला  -- नयी नौकरी और धन से तरक्की मिलेगी लक्ष्मी जी के पास  गुलाब की अगरबत्ती या धूप जलाएं --रस मलाई चढ़ाएं। 


वृश्चिक- काम में ख्याति और लम्बी आयु  मिलेगी लक्ष्मी जी के पास  चमेली की धूप जलाएं और साबूदाने  की खीर चढ़ाएं। 


धनु  -- मकान, गाड़ी और प्रेम का सुख मिलेगा  लक्ष्मी जी के पास  पर चन्दन की धूप जलाएं और लड्डू चढ़ाएं। 


मकर-   विदेश जा सकेंगे ,धन मिलेगा लक्ष्मी के पास गुग्गल में छोटी इलायची कूटकर मिलाकर जलाएं -दूध की दलिया चढ़ाएं।


कुम्भ- पति पत्नी का धन से भाग्योदय और  संतान सुख मिलेगा लक्ष्मी जी के पास चमेली  तेल मिलाकर धूप जलाएं, पेड़ा चढ़ाएं।


मीन - धन आएगा और सभी  रोगों  और शत्रु से मुक्ति मिलेगी लक्ष्मी जी पास  पर चन्दन  की धूप जलाएं --दूध केला चढ़ाएं। 


आचार्य  पवन तिवारी -ज्योतिषाचार्य


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