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पहली बार जब पीसी-पीएनडीटी एक्ट में किसी डॉक्टर को दी गई सजा

मध्य प्रदेश -

मई 2009 में किया था चार डॉक्टरों का स्टिंग ऑपरेशन


10 साल बाद तीन डाॅक्टरों को तीन-तीन साल की सजा

ग्वालियर- कन्या भ्रूण हत्या के लिए सहमति देने के मामले में कोर्ट ने डॉ. संध्या तिवारी, डॉ. सुषमा त्रिवेदी और डॉ. एसके श्रीवास्तव (होम्योपैथी) को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने तीन-तीन साल की सजा सुनाई। साथ ही तीन-तीन हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया। 



प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी प्राची पटेल ने कहा कि तीनों आरोपी सुशिक्षित होते हुए भी अपनी शिक्षा का प्रयोग गलत काम में कर रहे थे, इसलिए इन्हें पीसी-पीएनडीटी एक्ट की धारा 23 में अधिकतम सजा यानी कि तीन साल की सजा दी गई है। डॉ. तिवारी और डॉ. श्रीवास्तव को नियमविरुद्ध तरीके से नर्सिंग होम चलाने के मामले में पांच-पांच हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।


यह पहला अवसर है जब पीसी-पीएनडीटी एक्ट में किसी डॉक्टर को सजा दी गई। हालांकि तीनों डॉक्टरों ने आदेश के खिलाफ अपील करने की बात कहते हुए जमानत आवेदन पेश किया। डॉ. एसके श्रीवास्तव को 20 हजार और डॉ. संध्या तिवारी और डॉ. सुषमा त्रिवेदी को 5-5 हजार के निजी मुचलके पर कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया। 


मई 2009 में स्टिंग ऑपरेशन कर कलेक्टर से की थी शिकायत: दिल्ली के खडखड़ी नाहर की बेटी बचाओ समिति के सदस्यों ने 4 मई 2009 को शहर के चार डॉक्टरों का स्टिंग किया था। इनमें डॉ. एसके श्रीवास्तव (सुरेश मेमोरियल क्लीनिक, हुरावली रोड, बारादरी), डॉ. संध्या तिवारी (संध्या नर्सिंग होम, दर्पण कॉलोनी), डॉ. सुषमा त्रिवेदी (त्रिवेदी नर्सिंग होम, नई सड़क) के अलावा डाॅ. प्रदीप सक्सेना का नाम शामिल हैं।


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